There is a strong verse for friendship, family, hope, and love.

दोस्तों आज में आपको  बाइबिल के उन चुंनिंदा वर्स के बारे में बताना चाहता हु जिस के द्वारा आप  अपने जीवन में  ढेर साड़ी आशीष  पाएंगे, परमेस्वर का वचन हमरे जीवन कितना महत्वपूर्ण  जिसके द्वारा ही हमारा उद्धार होना  है, इसके बारे में आप सबहि भलीभांति अवगत होंगे, यदि आप चाहते है की में इस बारे में भी  आप सभी सभी को  बताऊँ तो आप कमेंट कर सकते है |

देखो, उस देश को तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे सामने किए देता है, इसलिए अपने पितरों के

परमेश्वर यहोवा के वचन के अनुसार उस पर चढ़ो और उसे अपने अधिकार में ले लो, न तो तुम डरो।

और न तुम्हारा मन कच्चा हो।

(व्यवस्था० 1:21)

इन वचनों के द्वारा मसा ने उन लोगों को प्रोत्साहित किया जो मरुस्थल की कठिन लम्बी यात्रा परी

करके आए थे कि वे उस कनान देश को जिसको मीरास के रूप में देने के लिए यहोवा ने उनके पूर्वजों से

प्रतिज्ञा की थी आगे बढ़कर अपने अधिकार में कर लें। प्रत्यत्तर के रूप में उनकी मांग यह थी कि उस

देश का भेद लेने के लिए गुप्तचर भेजे जाएं। ऊपरी तौर से मसा इस तर्कसंगत परामर्श से सहमत हो।

गया।यह कितना अच्छा रहा होता यदि लोगों ने परमेश्वर के उस वचन पर प्रश्न न किया होता जो उसने

कहे थे! परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं पर उनके विश्वास न करने के कारण इतनी बड़ी संख्या में लोगों के

होते हए भी वे कायर सिद्ध हए और शत्र का सामना करने से आनाकानी कर रहे थे। प्रतिज्ञा किये हए।

इस देश को तुच्छ जानने के लिए परमेश्वर को उनको ताड़ना देनी पड़ी और उसने उन्हें अड़तीस वर्ष

की लम्बी अवधि के लिए मरुस्थल में वापस पनः भेज दिया जब तक कि बीस वर्ष तथा बीस वर्ष से

अधिक आयु के लोग मर न गये। | वहाँ से सहायक के रूप में पहले ही हमने पवित्र आत्मा पा लिया है-जैसे कि उन गप्तचरों द्वारा कनान देश से लाए गए स्वादिष्ट अंगूर के गुच्छे। तो आइए, परमेश्वर द्वारा दी गयी मीरास पर अधिकार करने के लिए हम प्रसन्नता एवं साहसपूर्वक दृढ़प्रतिज्ञ होकर सभी प्रकार के विरोध और संघर्ष का सामना करें।

Hindi bible study notes

इसलिए हम उसके द्वारा स्तुतिरूपी बलिदान, अर्थात् उन होंवें का फल जो उसके नाम का अंगीकार

करते हैं, परमेश्वर के लिए सर्वदा चढ़ाया करें।

(इब्रानियों 13:15)

परमेश्वर के लोगों को प्राप्त बहत से विशेषाधिकारों में से सबसे बडा अधिकारको पिता परमेश्वर की सच्ची आराधना कर सकते हैं। परमेश्वर ने अपने प्रिय पत्र यीश को न्याय और मृत्य के लिए इसलिए नहीं दे दिया कि केवल खोए हुए पापियों का उद्धार हो सके, परन्तु इसलिए भी कि वह अपने लिए ऐसे आराधक ढूँढता है, जो उसकी उपासना आत्मा और सच्चाई से कर सकें। ये पूर्व वर्णित खोये हए पापी अब परमेश्वर के समक्ष याजक के रूप में शुद्ध और पवित्र होकर उसकी अपरिमित करुणा का गणानवाद करते पाए जाते हैं। प्रभ यीश ने स्वयं उनको जो आत्मा में होकर उसके परमेश्वर और पिता को आत्मिक बलिदान चढ़ाते हैं, याजक करके ठहराया है।

पवित्र आत्मा जोकि प्रत्येक सच्चे विश्वासी में रहता है, वह हमें इस योग्य करता है कि हम परमेश्वर के प्रेम को जान सकें तथा उसमें आनन्दित हो सकें। जब हम परमेश्वर के पत्र यीश के उस कार्य पर विचार करते हैं जो उसने हमारे लिए क्रूस पर पूरा कर दिया, तो हमारा हदय उसके लिए स्तति एवं धन्यवाद से उमड़ने लगता है। यह स्तुति जो पिता तक पहुँचती है उन लोगों से निकलती है जिन परएक समय अनन्त मत्य-दण्ड की आज्ञा हो चकी थी परन्त अब वे जानते हैं कि अब उन पर परमश्वर।का अनग्रह होचका है। वास्तव में वह ऐसे ही आराधकों को ढंढ़ता था जो आत्मा और सच्चाई में उसकाउपासना कर सकें।काश, हम इस चीज का अनुभव कर सकें कि परमेश्वर पिता के हृदय के लिए यह कितना मूल्यवानहै कि वह अपने प्रिय बच्चों को प्रभु यीशु में अपने सामने इकट्ठा देखे! वह इसे उस प्राचीन काल के तम्बूमें स्थित स्वर्ण-वेदी पर अर्पित सगंधित द्रव्यों से कहीं अधिक महत्त्व देता है। उसकी संतानें एक सच्चे। हृदय से पूर्ण आस्था के साथ गाती हैं, और वह उपासना स्वर्ग तक पहुँचती है जहाँ यह स्वयं प्रभु के द्वारा परमेश्वर को अर्पित की जाती हैं।Hindi bible words

तेरा वचन पूरी रीति से ताया हुआ है, इसलिए तेरा वास उसमें प्रीति रखता है। (भजन 119:140)

जिस वस्तु से हम प्रीति रखते हैं. उसी को हम अपने हदय में बसा लेते हैं। यही बात भजन 119 के

गायक के साथ भी थी। 

परमेश्वर की चेतावनियाँ ही उसका आनन्द और सख थीं। पद 24 में वह ।उनको अपना मंत्री कहता है, तथा पद 167 में वह कहता है कि वह उनसे बहत प्रीति रखता आया है।।बाइबिल को ईश्वर प्रेरित स्वीकार करने से यह कहीं बढ़कर है, अथवा यहाँ तक कि यह अपने ताखा पर बहुत सारे व्याख्यात्मक लेखों को संचित करने से बढ़कर है। यदि हम उसके वचन का तिरस्कार करते हैं, और यह कहते हैं कि हम प्रभ से प्रीति रखते हैं, यह सरासर बेईमानी है।  एक बार एक विश्वासी किसी पार्क के एक बेंच पर बैठ गया। वह अकेलेपन का अनभव कर रहा था, और उसके मन में इच्छा हो रही थी कि उसे उसी के जैसा कोई मिले जिससे कि वह संगति कर सके।

अपनी बाइबिल खोल कर वह वहाँ बैठ गया। अचानक उसे लगा जैसे कि पीछे से किसी ने उसके कंधे।

पर हाथ दिया हो। पीछे मडकर उसने देखा कि एक बजग सज्जन खड़े हैं जो यह कह रहे हैं: “मेरे भाई

तम यहाँ क्या कर रहे हो?” “आप कैसे जानते हैं कि मैं आप का भाई हँ?” उसने पूछा। “ठीक है,” दूसरे व्यक्ति ने कहा, “मैं। देख रहा हैं कि आप मेरे दिल की पस्तक पढ़ रहे हैं!” शीघ्र ही वह बुर्जुग उस दूसरे व्यक्ति के हृदय की। भावनाओं से परिचित हो गये। उसके द्वारा उनकी सच्ची संगति हुई, क्योंकि दोनों ने ही इस पुस्तक में।

पायी जाने वाली सच्चाईयों को आपस में बांटा और उसका मूल्यांकन किया।हाँ. परमेश्वर का वचन “अत्यधिक शद्ध” है। ऐसी बातों की गुण-ग्रहिता (शिक्षा) विश्वासियों में।सच्ची संगति के लिए आधार प्रदान करती है। जितना ही अधिक हम इसे पढ़ेंगे उतना ही अधिक।प्रशंसनीय हमारा आनन्द बढ़ेगा। तब यह और भी गहरा होता जाएगा, जबकि हम परमेश्वर की।प्रतिज्ञाओं को प्रतिदिन हाँ और आमीन के साथ सिद्ध करते जाएँ।Bible Vachan in Hindi

तब धर्मशास्त्र का वह वचन कि वह अपराधियों के संग गिना गया, पूरा हुआ। (मरकुस 15:28)

परमेश्वर के पुत्र के हृदय में कैसा अतुलनीय प्रेम सक्रिय था, जबकि मनुष्य के रूप में वह”स्वर्गदूतों से कुछ ही कम’ बनाया गया था। क्या कुछ मनुष्य उसके संग करने वाले थे, वह सब कुछ।जानता था, परन्तु परमेश्वर के सम्मान को प्राप्त करने तथा उसकी प्रतिज्ञाएँ पूरी करने का और कोईदूसरा उपाय था ही नहीं! पाप के कारण मानव को उसने कराहता हुआ पाया, परन्तु वह उससे ईश्वरीय अनुग्रह और दुखभोग के साथ मिला। उसके अद्भुत आश्चर्य कर्मों को देखकर हजारों लोग उसके । पीछे चल पड़े। किन्तु यहूदियों के अगुवों की ईर्ष्या और घृणा ने उस ज्वार को उसके विरुद्ध मोड़ दिया। निस्सन्देह । कलवरी तक उसके पीछे-पीछे चलने वालों की भावनाएं बिल्कुल असमान थी, किन्तु किसी एक ने भी। उसके पक्ष में अपना मुँह नहीं खोला। प्रभु यीशु के क्रूसीकरण’ से बढ़कर संसार ने किसी और अन्याय को नहीं देखा। पृथ्वी पर पाया गया एकमात्र सिद्ध व्यक्ति दुष्ट पापियों के द्वारा क्रूस पर जड़ दिया गया।  अपराधियों के संग उसके गिने जाने का बाह्य प्रमाण यह था कि वह वास्तव में दो ककर्मियों के मध्य ऋस पर टांगा गया। उनमें से केवल बीच का मनुष्य ही मुकुट पहने हुए था, मानों वह कुकर्मियों का मुखिया हो-विशेषकर जबकि उसका मुकुट काँटों का बना हो! उसके शत्रुओं ने तो उसे अपराधियों के मध्य गाड़ने का षड्यन्त्र किया था, किन्तु परमेश्वर ने उन्हें ऐसा करने की आज्ञा नहीं दी। परमेश्वर ने

तो यह घोषणा की थी कि मरने पर वह धनवान के साथ गाड़ा जाएगा। वह पवित्र अपने एक शिष्यकी।नयी कब्र में रखा गया। अब परमेश्वर और अधिक ऐसा नहीं करने का कि वह मनुष्य की दुष्टता और।शत्रता के अधीन रहे कि वह अपराधियों के संग गिना जाए। उसने तो उसे मृतकों में से जीवित कर दिया। और उसे अपने दाहिने बैठा है | 

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